रतन टाटा-नुस्ली वाडिया केस / चीफ जस्टिस ने उद्योगपतियों से कहा- दोनों समझदार, बैठकर मसला सुलझाएं; मुकदमेबाजी की क्या जरूरत?

नई दिल्ली. नुस्ली वाडिया-रतन टाटा से जुड़े मानहानि केस में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों उद्योगपतियों से कहा कि वे मामला आपस में सुलझा लें। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि आप दोनों समझदार हैं, उद्योग जगत के लीडर हैं। आप साथ बैठकर मामला सुलझा क्यों नहीं लेते। आप लोगों को इस तरह की मुकदमेबाजी की क्या जरूरत है।


निदेशक मंडल से हटाए जाने पर वाडिया ने केस किया था
बॉम्बे डाइंग के चेयरमैन नुस्ली वाडिया ने 2016 में रतन टाटा, मौजूदा अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन और 8 अन्य डायरेक्टर्स के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करवाया था। वाडिया ने यह कदम इसलिए उठाया, क्योंकि उन्हें टाटा समूह की कुछ कंपनियों के निदेशक मंडल से निकाल दिया गया था। 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने आपराधिक मानहानि के मामले को रदद् कर दिया था। इस फैसले को वाडिया ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।


कोर्ट ने वाडिया से पूछा था- टाटा को भी शिकायतें हैं, इसे मानहानि कैसे मानें
शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रख मामले का निपटारा करना चाहती थी। बेंच का मानना था कि इसमें मानहानि की कोई मंशा नहीं थी। लेकिन, इसे 13 जनवरी तक के लिए टाल दिया गया। तब वाडिया के वकील ने अलग से इस मामले में केस दर्ज करवाने के लिए मोहलत मांगी थी।


इससे पहले भी वाडिया की तरफ से वरिष्ठ वकील ए सुंदरम ने कोर्ट से कहा था कि उनका केस कंपनी नहीं, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है, जिन्होंने इस प्रस्ताव के लिए बैठक बुलाई थी और बाद में जानकारी मीडिया में लीक कर दी। कोर्ट ने वाडिया से कहा कि रतन टाटा और अन्य को भी उनसे कुछ शिकायतें हैं और सवाल यह है कि इसे मानहानि कैसे माना जाए।